आपने कभी सोचा है कि आसमान नीला क्यों है? आप रोज़ आसमान को देखते होंगे, पर क्या अपने सोच है कि कभी ये नीला, कभी नारंगी, कभी लाल क्यों लगता है आसमान नीला क्यों है? पिला, हरा या नीला क्यो नहीं? या भूरा, बेंगानी या गुलाबी क्यों नहीं?

आसमान नीला क्यों है? पिला, हरा या नीला क्यो नहीं?


इस प्रशन का हल निकालने के लिए कई बर्ष लगे | कई लोगो ने इसके बारे मे  सोचा जैसे की न्यूटन, मैक्सवेल, थॉमस यंग | इसके बारे मे जनने के लिए आपको रंगो के विशेष गुणों (properties) के बारे मे जानना होगा, सूरज के धुप का रगं जानना होगा और वायु कणों (Gas Molecules) के बारे मे जानना होगा |


हमारा वातावरण कई गैस कणों (Gas Molecules) और अन्य छोटे -छोटे चीज़ो से बना है | जिसमे नाइट्रोजन (Nitrogen) 78% और ऑक्सीजन (oxygen) 21% हैं | हवा में और भी अन्य कण होते है जैसे की थुल के कण, अन्य चेमिकल्स , वाष्प (vapors) इत्यादि |

सूर्य की रोशनी हमे सफेद नज़र आती है परन्तु ये 7 रंगो के मेल से  बनती है |  ये वही 7 रंग है जो हमे इंद्रध्नुष (Rainbow) मे  नज़र आते है | इंद्रध्नुष (Rainbow) के हर रंग की की अलग wavelength एवं  frequency होती है | लाल रंग की wavelength सबसे जादा होती है और नील रगं की wavelength सबसे कम होती है |

जैसे ही सूर्य की रोशनी हमरे वातावरण में दाखिल होती है, लम्बे wavelength तो आगे बड़ जाते है पर छोटी wavelength वायु कणों (Gas Molecules) द्वारा अवशोषित (absorb) कर ली जाती है नीले रगं की wavelength सबसे कम होती है, तो उसे  वायु कण (Gas Molecules) अवशोषित (absorb) कर लेते है |  


इस अवशोषित (absorbed) नीले रंग को फिर वायु कण (Gas Molecules) अलग-अलग दिशाओ में फैला देते है | जो रंग वो अवशोषित करते  हैं, वही रंग वो फैलाते है | इस तरह नीला रंग आकाश मे हर जगह फेल जाता है और हमें आसमान नीला नजर आता है |

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