चलचित्र आज लोगों के मनोरंजन का एक सस्ता व सुलभ साधन है संसार में लगभग ढाई लाख सिनेमा घरों में प्रतिदिन करोड़ो लोग फिल्में देखते हैं चलचित्रों को आज का रूप लेने में लगभग 100 वर्ष का समय लगा है चलचित्रों के विकास में कैमरा, फोटोग्राफी और प्रोजेक्टरों के विकास का बहुत बड़ा योगदान रहा है |

सिनेमा का आविष्कार किसने किया था और कब किया था

सिनेमा का आविष्कार कब और किसने किया?

चलचित्र की कहानी तब आरम्भ हुई, जब 1830 के लगभग ऐसे घुमने वाले चक्र बनाए गए, जिन पर चित्र बने हुए होते थे इन्हें व्हील्स ऑफ़ लाइफ़ (Wheels of Life) या सजीव चक्र कहा जाता था चक्र को इतनी तेज़ी से घुमाया जाता था कि उस पर बने चित्र चलते-फिरते नज़र आते थे चलचित्रों का वास्तविक जन्म 1890 के आसपास हुआ

सन् 1893 में थॉमस एडिस्म (Thomas Edism) ने किनेटोस्कोप (Kinetoscope) नामक यंत्र बनाया इसमें एक छोटे से छेद में से एक ही व्यक्ति चित्रों को देख सकता था इसमें दिखाए जाने वाले चित्रों में आमतौर पर घुड़दौड़, बच्चों का तैरना आदि के चित्र होते थे, सन् 1903 में सबसे पहली फिल्म एडीसन की प्रयोगशाला में बनाई गई, जिसका नाम दि ग्रेट ट्रेन रॉबरी (The Great Train Robbery) था इससे लोगों में बहुत उत्सुकता पैदा हुई

संसार का सबसे पहला सिनेमा हॉल अमेरिका के पिट्सबर्ग (Pittsburgh) शहर में नवम्बर 1905 में खोला गया इसके कुछ समय बाद थॉमस आरमथ (Thomas Armath) ने चलचिंत्रों के सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए प्रोजेक्टर का निर्माण किया l इस प्रोजेक्टर में एडीसन ने भी बहुत से सुधार किए उस समय के चलचित्र मूक चलचित्र होते थे प्रोजेक्टर लगभग २४ चित्र प्रति सेकंड फेंकता था l एक के बाद दूसरा चित्र इतनी जल्दी परदे पर आता था कि वह चलता-फिरता दिखाई देता था चित्रों का निर्माण सेलुलोस (Celulose) की फिल्मों पर होता था

धीरे-धीरे समय बीतता गया और चलचित्रों में विकास होता गया सबसे पहला संगीतपूर्ण चित्र डान जुआन था, जो 1920 में अमेरिका में बनाया गया था सबसे पहले बोलने वाला चलचित्र दि जाज सिंगर (The Jaz Singer) था इसे भी सन् 1927 में अमेरिका के वार्नर (Warner) बंधुओं ने बनाया था भारत में सबसे पहले बनने वाली फिल्म राजा हरिश्चंद्र थी, जो 1913 में दादा साहब फाल्के ने बनाई थी चलचित्रों को रंगीन बनाना सफलता का अगला महत्वपूर्ण कदम था

सिनेमा देखने का सबसे बड़ा शौक तायवान में है रूस में लगभग 1.5 लाख सिनेमाघर है संसार का सबसे खुला एवं बड़ा सिनेमाघर पश्चिम बर्लिन में है, जिसमें 22000 लोग एक साथ बैठकर फिल्म देख सकते हैं संसार की सबसे बड़ी फिल्म दि ह्यूमन कंडीशन (The Human Condition) थी, जो ओक्टुबर 1961 में जापान में दिखाई गई थी इसका एक शो 8 घंटे 55 मिनट का था

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