कागज़ का आविष्कार किसने, कब और कैसे किया?

कागज़ चीन की देन है इसके आविष्कार का श्रेय वहाँ के छाई-लुन नामक व्यक्ति को दिया जाता है वह प्राचीन चीन के पूर्वी हान वंश (20-220 ई.) के दरबार में अधिकारी था छाई-लुन ने पेड़ों की छाल, सन के चिथड़ों और मछली पकड़ने के जालों से काग़ज़ बनाने के तरीक़े की 105 ई. में जानकारी दी थी |


वास्तव में छाई-लुन से भी बहुत पहले चीन में पटसन के रेशे से कागज बनाया जाने लगा था. कच्चे माल के अभाव के कारण कागज बहुत महँगा था. छाई-लुन ने पुरानी तकनीक को सुधारकर आसानी से मिल सकने वाले पेड़ के छिलके,चीथड़े,जाल के टुकड़े और पटसन के छोटे रेशों से कागज बनाने का प्रयोग शुरू किया. अलबत्ता रेशम, बाँस और लकड़ी की पट्टियों जैसी परम्परागत लेखन-सामग्री के स्थान पर वहाँ काग़ज़ का व्यापक इस्तेमाल ईसा की चौथी सदी से ही सम्भव हो सका.

दूसरी सदी में काग़ज़ कोरिया में पहुँचा और तीसरी सदी में जापान. भारत में काग़ज़ का प्रवेश सम्भवतः ईसा की सातवीं सदी में हुआ. चीनी बौद्ध भिक्षु ई-चिंग ने 671-694 ई. में भारत की यात्रा की. उसके चीनी संस्कृत कोश में जानकारी दी गई है कि काग़ज़ के लिए चीनी शब्द त्वे के लिए संस्कृत में काकलि शब्द चलता था कुछ विद्वानों ने काकलि शब्द को काग़द या काग़ज़ शब्द से जोड़ा है. मूलतः काग़ज़ अरबी शब्द है. इसी से फ़ारसी में काग़दशब्द बना |

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