radio ka avishkar kaise hua

वास्तव में रेडियो के आविष्कार का श्रेय किसी एक व्यक्ति को नहीं दिया जा सकता यह बहुत से वैज्ञानिकों के मिले जुले प्रयासों का ही परिणाम है रेडियो के विकास में मुख्य रूप से जर्मनी के वैज्ञानिक हैनरिच हट्ज़ॅ (Heinrich Hertz) इटली के गुग्लील्मो मारकोनी (Guglielmo Marconi) और अमेरिका के ली.डे.फारेस्ट (Lee De Forest) का विशेष हाथ रहा है


रेडियो ख़ोज का इतिहास

रेडियो (Radio) ध्वनी संदेशों को दूरस्थ स्थानों से प्राप्त करने का सबसे अधिक प्रभावशाली तरीका है इसकी सहायता से संसार के किसी भी देश में होने वाली घटनाओं का पता हमें पलभर में लग जाता है इतना ही नहीं बल्कि यह मनोरंजन का भी सबसे बड़ा साधन है सुबह से रात तक अनेकों प्रकार के संगीत कार्यक्रम, विश्व के किसी भी कोने में हो रहे खेलों का आंखों देखा हाल, संसार की मुख्य घटनाओं का व्योरा, हम घर बैठे ही रेडियो द्धारा सुनते रहते हैं

19 वीं सदी के शुरू में इंगलैंड के माइकल फैराडे (Michael Faraday) ने यह सिद्ध कर दिखाया कि किसी तार में बहने वाली विधुत धरा से तार के चारों और चुम्बकीय क्षेत्र पैदा हो जाता है इस विधुत धरा के बहने से एक प्रकार की विधुत चुम्बकीय तरंगे पैदा होती हैं, जिन्हें दूर-दूर तक भेजा जा सकता है इन तरंगों का अध्ययन हट्ज़ॅ महोदय ने किया उन्हीं दिनों मारकोनी ने विधुत चुम्बकीय तरंगों को प्रयोग में लाकर बेतार के तार (Wireless) का निर्माण किया

सन् 1904 में सर जान एम्ब्रोज़ फ्लेमिंग (Sir John Ambrose Fleming) ने डायोड (Diode) वाल्व (Valve) का आविष्कार किया l इस वाल्व में एक कैथोड़ होता है और एक प्लेट जब कैथोड़ में इलेक्ट्रान निकलते हैं तो प्लेट पर विधुत वीभब देने से इन्हें आकर्षित या विकर्षित किया जा सकता है 1906 में अमेरिका के लिंडे कोरेस्ट ने ट्रायोड वाल्व बनाया इन सब आविष्कारों तक रेडियो सन्देश प्रसारित करने के लिए ट्रांसमीटर बन चुके थे l इन से आने वाले संदेशों को प्राप्त करने के लिए रेडियो रिसीवर सेट भी बन चुके थे इसके पश्चात रेडियो पद्धति में विकास होता चला गया

दूर स्थानों से हमें रेडियो सन्देश कैसे प्राप्त होते हैं?

रेडियो प्रसारण केंद्र पर जब कोई व्यक्ति बोलता है, तो उसके मुंह से निकली ध्वनि तरंगों को माइक्रोफोन द्धारा विधुत तरंगों में बदल लिया जाता है इन विधुत तरंगों को उच्च आवृति वाली विधुत चुम्बकीय तरंगों (Electro-Magnetic Waves) के साथ मिला दिया जाता है प्रसारण केंद्र के एंटीना (Antenna) से ये तरंगें चारों तरफ फैल जाती हैं


जब ये तरंगें चलती-फिरती हमारे घर में लगे रेडियो के एंटीना से टकराती हैं, तो उसमें विधुत धरा तरंगों में बदल दी जाती हैं और रेडियो में लगे लाउडस्पीकर द्धारा हमें बोलने की आवाज़ सुनाई डे जाती है अलग-अलग प्रसारण केन्द्रों से आए संदेशों को प्राप्त करने के लिए भी हमारे रेडियो में प्रबन्ध होता है |

भारत में रेडियो प्रसारण सेवा सन् 1936 में शुरू हुई थी संसार में सबसे अधिक रेडियो स्टेशन अमेरिका में हैं इनकी संख्या 7000 के लगभग है पुरे विश्व में इस समय लगभग 85 करोड़ रेडियो सेट हैं |

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