संयुक्त राष्ट्र
सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को उनकी संख्या से याद किया जाता है प्रस्ताव संख्या
1267 मूलतः
अलकायदा-तालिबान प्रस्ताव के रूप में पहचाना जाता है इसे 15 अक्तूबर 1999 को पास किया गया
था अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के शासन के दौरान अल-कायदा की बढ़ती गतिविधियों के
कारण 1998 में सुरक्षा
परिषद ने प्रस्ताव 1189,
1193 और 1214 पास किए थे
प्रस्ताव 1267 के माध्यम से
ओसामा बिन लादेन और उनके सहयोगियों को आतंकवादी घोषित करके ऐसे सभी व्यक्तियों और
संगठनों के खिलाफ पाबंदियाँ लगाने की घोषणा की गई, जो उन्हें शरण देंगे. इन प्रतिबंधों का दायरा
पूरी दुनिया में फैला दिया गया. प्रस्ताव 1267 के तहत सुरक्षा परिषद की एक समिति ने ऐसे व्यक्तियों और
संस्थाओं की सूची तैयार की है, जिनका रिश्ता अल-कायदा और तालिबान से रहा है
इस सिलसिले में 19 दिसम्बर 2000 में प्रस्ताव 1333 भी पास किया
गया. दोनों का लक्ष्य अफगानिस्तान के तत्कालीन तालिबान प्रशासन पर दबाव डालना था. 30 जुलाई 2001 को प्रस्ताव 1363 के मार्फत एक
निगरानी टीम भी बनाई गई
प्रस्ताव 1267 के तहत
पाकिस्तानी उग्रवादी संगठन जैशे-मोहम्मद अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन है. भारत इस
संगठन के मुखिया मसूद अज़हर को भी आतंकवादियों की सूची में डालने के प्रयास करता
रहा है. इन प्रयासों को अभी तक चीनी अड़ंगे के कारण सफलता नहीं मिली है. पठानकोट
हवाई अड्डे पर हमले के बाद भारत ने 1267 की मंजूरी समिति में अज़हर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित
करने का प्रस्ताव रखा था
सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1267 का मतलब क्या है?
Reviewed by ADMIN
on
May 21, 2019
Rating:

No comments: