एनालॉग सिग्नल्स और डिजिटल सिग्नल्स में अंतर
हिन्दी में एनालॉग को अनुरूप और डिजिटल को अंकीय सिग्नल कहते हैं | दोनों सिग्नलों का इस्तेमाल विद्युतीय सिग्नलों के मार्फत सूचना को एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजने के लिए किया जाता है | दोनों में फर्क यह है कि एनालॉग तकनीक में सूचना विद्युत स्पंदनों के मार्फत जाती है | डिजिटल तकनीक में सूचना बाइनरी फॉर्मेट (शून्य और एक) में बदली जाती है |

कम्प्यूटर द्वयाधारी संकेत (बाइनरी) ही समझता है | इसमें एक बिट दो भिन्न दिशाओं को व्यक्त करती है | इसे आसान भाषा में कहें तो कम्प्यूटर डिजिटल है और पुराने मैग्नेटिक टेप एनाल़ॉग | एनालॉग ऑडियो या वीडियो में वास्तविक आवाज या चित्र अंकित होता है जबकि डिजिटल में उसका बाइनरी संकेत दर्ज होता है, जिसे प्ले करने वाली तकनीक आवाज या चित्र में बदलती है | टेप लीनियर होता है, यानी यदि आपको कोई गीत सुनना है जो टेप में 10वें मिनट में आता है तो आपको बाकायदा टेप चलाकर 9 मिनट, 59 सेकंड पार करने होंगे |

इसके विपरीत डिजिटल सीडी या कोई दूसरा फॉर्मेट सीधे उन संकेतों पर जाता है | पुराने रिकॉर्ड प्लेयर में सुई जब किसी ऐसी जगह आती थी जहाँ आवाज में झटका लगता हो तो वास्तव में वह आवाज ही बिगड़ती थी | डिजिटल सिग्नल में आवाज सुनाने वाला उपकरण डिजिटल सिग्नल पर चलता है | मैग्नेटिक टेप में जेनरेशन लॉस होता है | यानी एक टेप से दूसरे टेप में जाने पर गुणवत्ता गिरती है | डिजिटल प्रणाली में ऐसा नहीं होता |

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