व्यावसायिक संचार, व्यवसाय को सुचारू रूप से चलाने के लिए एक महत्वपूर्ण किर्या है | यह व्यवसाय का जीवन है | व्यावसायिक संचार में संदेश्वाहन के द्वारा ही विभिन्न व्यक्तियों के मध्य विचारो का आदान प्रदान किया जाता है | व्यसाय चलाने के लिए अनेक व्यक्तियों से सम्पर्क रखना पड़ता है तथा निरंतर अपने ग्रहाको से , कर्मचारियों से तथा अन्य व्यक्तियों से संवाद करना पड़ता है | यहि संवाद की प्रकिर्या व्यावसायिक संचार खलती है |

संचार किसी भी व्यक्ति को किसी संघटन में बना सकता है व बहार कर सकता है , क्न्योकी यह किसी भी संघठन की आन्तरिक व् बाह्य गतिविधियों की सुचना देता है जो उस संगठन के हित या अहित में होती है | किन्ही भी व्यव्सतिक उदेश्यों को संगठन के सामूहिक प्रयासों के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है क्न्योकी संचार में व्यक्तियों के बिच संदेशो , तथ्यों , विचारो भावनाओ , सम्पतियो तथा तर्कों का आदान प्रदान होता है व्यावसायिक संचार व्यावसायिक उदेश्यों की पूर्ति के लिए आवश्यक है तथा इसके बिना उसका संचालन ही नही हो सकता |

व्यव्सतिक संचार को एक सर्वमान्य परिभाषा की सीमा में बंधना एक कठिन कार्य है क्न्योकी एक और कुछ विद्वान सूचनाओ के प्रेसन की प्रकिर्या को संचार  में समिलित करते है तो दुसरी और कुछ अन्य विद्वान् परेसान के साधनों एंव तकनीक को संचार से जोड़ते है | इस सम्बन्ध में प्रमुख विचार इस प्रकार है

सी.जी. ब्राउन के शब्दों में , ” व्यावसायिक संचार संदेशो तथा व्यवसाय से जुड़े लोगो को जानने की प्रकिर्या है है | इसमें संचार के माध्यम समिलित होते है

business communication is a process of messages and persons which are associated with business . it consists channel of communication.” -C.G. Brown

व्यावसायिक संचार संगठन के अंहो और लोगो के बिच जानकारी और सूचनाओ के आदान प्रदान की एक प्रक्रिया है | संदेशो के आदान -प्रदान के कई नमूने और माध्यम इस प्रक्रिया में समिमलित रहते है | “

”Business communication is a process of transfer of information and understanding between parts and people of business organization. It consist of various models and media involved in communication interchanges. ”

उपर्युक्त परिभाओ से स्पस्ट है की व्यावसायिक संचार के अंतर्गत विचारो का सम्प्रेषण संचार होता है यह सुचना प्रदान करने की ऐसी प्रक्रिया है जिसमे सुचना प्राप्त करने वाला उसे उसी तरह समझे जैसे सुचना प्रेषक उसे समझाना चाहता है अर्थात् सूचनानुसार कार्यवाही करना है साथ ही सुचना प्रदान करते समय विचारो में भावनाओ का समावेश होना आवश्यक है |

कोई टिप्पणी नहीं:

Blogger द्वारा संचालित.