आकाश में ध्रुवतारा सदा एक ही स्थान पर दिखता है, जबकि अन्य तारे नहीं, क्यों?
ध्रुवतारे की स्थिति हमेशा उत्तरी ध्रुव पर रहती है | इसलिए उसका या उनका स्थान नहीं बदलता | यह एक तारा नहीं है, बल्कि तारामंडल है | धरती के अपनी
धुरी पर घूमते वक्त यह उत्तरी ध्रुव की सीध में होने के कारण हमेशा उत्तर में
दिखाई पड़ता है | इस वक्त जो ध्रुव तारा है उसका अंग्रेजी में
नाम उर्सा माइनर तारामंडल है | जिस स्थान पर
ध्रुव तारा है उसके आसपास के तारों की चमक कम है इसलिए यह अपेक्षाकृत ज्यादा चमकता
प्रतीत होता है |
धरती अपनी धुरी पर पश्चिम से पूर्व की ओर परिक्रमा करती है,
इसलिए ज्यादातर तारे र्पूव से पश्चिम की ओर
जाते हुए नज़र आते हैं | चूंकि ध्रुव तारा सीध
में केवल मामूली झुकाव के साथ उत्तरी ध्रुव के ऊपर है इसलिए उसकी स्थिति हमेशा एक
जैसी लगती है | स्थिति बदलती भी है तो
वह इतनी कम होती है कि फर्क दिखाई नहीं पड़ता | पर यह स्थिति
हमेशा नहीं रहेगी | हजारों साल बाद यह
स्थिति बदल जाएगी, क्योंकि
मंदाकिनियों के विस्तार और गतिशीलता के कारण और पृथ्वी तथा सौरमंडल की अपनी गति के
कारण स्थिति बदलती रहती है |
यह बदलाव सौ-दो सौ साल में भी स्पष्ट नहीं होता | आज से तीन हजार साल पहले उत्तरी ध्रुव तारा
वही नहीं था जो आज है | उत्तर की तरह दक्षिणी
ध्रुव पर भी तारामंडल हैं, पर वे इतने फीके
हैं कि सामान्य आँख से नज़र नहीं आते | उत्तरी ध्रुव
तारा भूमध्य रेखा के तनिक दक्षिण तक नज़र आता है | उसके बाद
नाविकों को दिशाज्ञान के लिए दूसरे तारों की मदद लेनी होती है |
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