चश्मा का आविष्कार कब और किसने किया? Glasses invention in Hindi

आँख के चश्मे या तो नज़र ठीक करने के लिए पहने जाते हैं या फिर धूप, धूल या औद्योगिक कार्यों में उड़ती चीजों से आँखों को बचाने के लिए भी इन्हें पहना जाता है। शौकिया फैशन के लिए भी। स्टीरियोस्कोपी जैसे कुछ विशेष उपकरण भी होते हैं, जो कला, शिक्षा और अंतरिक्ष अनुसंधान में काम करते हैं। सामान्यतः ज्यादा उम्र के लोगों को पढ़ने और नजदीक देखने के लिए चश्मा लगाने की जरूरत होती है।

सम्भवतः सबसे पहले 13वीं सदी में इटली में नजर के चश्मे पहने गए। पर उसके पहले अरब वैज्ञानिक अल्हाज़न बता चुके थे कि हम इसलिए देख पाते हैं, क्योंकि वस्तु से निकला प्रकाश हमारी आँख तक पहुँचता है न कि आँखों से निकला प्रकाश वस्तु तक पहुँचता है। सन 1021 के आसपास लिखी गई उनकी किताब अल-मनाज़िरकिसी छवि को बड़ा करके देखने के लिए उत्तल (कॉनवेक्स) लेंस के इस्तेमाल का जिक्र था। बारहवीं सदी में इस किताब का अरबी से लैटिन में अनुवाद हुआ। इसके बाद इटली में चश्मे बने।

अंग्रेज वैज्ञानिक रॉबर्ट ग्रोसेटेस्ट की रचना ऑन द रेनबोमें बताया गया है कि किस प्रकाश ऑप्टिक्स की मदद से महीन अक्षरों को दूर से पढ़ा जा सकता है। यह रचना 1220 से 1235 के बीच की है। सन 1262 में रोजर बेकन ने वस्तुओं को बड़ा करके दिखाने वाले लेंस के बारे में लिखा।

बारहवीं सदी में ही चीन में धूप की चमक से बचने के लिए आँखों के आगे धुंधले क्वार्ट्ज पहनने का चलन शुरू हो गया था। बहरहाल इतना प्रमाण मिलता है कि सबसे पहले सन 1286 में इटली में चश्मा पहना गया। यह स्पष्ट नहीं है कि उसका आविष्कार किसने किया। चौदहवीं सदी की पेंटिंगों में एक या दोनों आँखों के चश्मा धारण किए पात्रों के चित्र मिलते हैं।

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