फफूंदी किसे कहते है यह कैसे बनता है?
बरसात के दिनों में अक्सर बासी रोटी, अचार, मुरब्बे, चमड़े आदि पर छोटे-छोटे सफेद रेशे पैदा हो जाते
हैं इसे फफूंद (Fungus) लगना कहते हैं और
इन छोटे-छोटे सफेद रेशों को फफूंदी कहते हैं ये रेशे काले, पीले और नीले रंग के भी हो सकते हैं इन्हें सुक्ष्मदर्शी
यंत्र से देखने से पता चलता है कि इनमें धागे कि तरफ की संरचनाएं हैं इन धागों के
दो हिस्से होते हैं एक हिस्सा माइसिलियम (Mycellium) जड़ों कि तरफ फैलकर खाध पदार्थ से भोजन लेता है और दूसरा
हिस्सा गोल-गोल गेंदनुमा होता है, इस गोल हिस्से
में फफूंदी पैदा करने वाले बीजाणु (Spores) होते हैं |
हवा में फैले इन बीजानुओं को जब गर्म और नमी वाले स्थान में
रोटी, फल आदि खाने की वस्तुएं
मिलती हैं, तो ये उन पर जमा हो जाते
हैं और बढ़कर नई फफूंदी को जन्म देते हैं जैसे ही किसी वस्तु पर फफूंदी जमती है,
वह वस्तु खराब हो जाती है l
फफूंदी एक प्रकार से परजीवी पौधे होते हैं इनके अंगों में
हरित पदार्थ (Chlorophyll) नहीं होता,
जिससे पोधे स्वयं अपना भोजन टायर करते हैं
इसलिए भोजन के लिए इन्हें चीजों पर निर्भर रहना पड़ता है फ्फुन्दियाँ कई प्रकार की
होती हैं जैसे कुकरमुत्ता (Mushroom), म्यूकर (Mucar), खमीर (Yeast),
पेनिसिलियम (Penicellium) आदि
फफूंदी हमारे लिए लाभदायक भी है और हानिकारक भी इसका पहला
लाभ तो यह है कि फफूंदी बेकार पड़ी काबनिक वस्तुओं को सड़ाकर समाप्त कर देती है ये
वस्तुएं आक्सीजन, नाइट्रोजन,
कार्बन फासफोरस आदि में टूटकर वायुमंडल में फैल
जाती है ब्रेड बनाने, बियर,
(Beer) शराब निकलने और पनीर
तैयार करने में फफूंदी को प्रयोग में लाया जाता है कार्बनिक तेजाब (Organic
Acids), पाचक रस (Enzymes),
विटामिन (Vitamins) और एंटीबायोटिक्स (Antibiotics) बनाने में भी फफूंदी का प्रयोग होता है |
एक हरे नीले रंग कि फफूंदी पेंसीलियम से पेंसीलीन बनाई जाती
है, जो बहुत सी बीमारियों के
इलाज के लिए काम आती है कुछ फ्फुन्दियों को भोजन कि तरह खाया भी जाता है, जैसे कुकरमुत्र, गोरलस, ट्राफिल्स आदि
फफूंदी से होंने वाली हानियों में अनेकों बीमारियां आती हैं दाद एक प्रकार कि
फफूंदी से ही होता है कुछ फफूंदी हमारी फसलों को भी नष्ट कर जाती हैं फफूंद पेड़-पोधों में भी बहुत से रोग फैलाती है |
फफूंद या कवक कैसे बनता है? How does fungus or fungus form?
Reviewed by ADMIN
on
June 12, 2019
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