सुप्रीम कोर्ट के
मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति कैसे होती है?
संविधान के
अनुच्छेद 124 में सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति का प्रावधान
है। इसमें मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के बारे में किसी विशेष प्रावधान का जिक्र
नहीं है। अलबत्ता सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को नियुक्त करने की परंपरा बन गई है।
निवृत्तमान मुख्य न्यायाधीश अपने बाद के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश के नाम की संस्तुति
राष्ट्रपति से करते हैं। वरिष्ठता सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति की तिथि से तय होती
है।
सामान्यतः
वरिष्ठतम न्यायाधीश को मुख्य न्यायाधीश बनाने की परंपरा है, पर बताया जाता है
कि 6 नवंबर 1951 को मुख्य
न्यायाधीश हरिलाल कानिया के निधन के समय प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू जस्टिस
पतंजली शास्त्री की वरिष्ठता का उल्लंघन करना चाहते थे, पर उस वक्त
सुप्रीम कोर्ट के सभी छह जजों ने कहा कि यदि ऐसा हुआ तो हम सब त्यागपत्र दे देंगे।
तब जस्टिस शास्त्री को ही मुख्य न्यायाधीश बनाया गया। तबसे वरिष्ठता की परंपरा बन
गई।
वरिष्ठता की
परंपरा का दो बार उल्लंघन हुआ है। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में
दोनों मौके आए। पहली बार 25
अप्रैल 1973 में जस्टिस एएन
रॉय को तीन न्यायाधीशों की वरिष्ठता की अनदेखी करके मुख्य न्यायाधीश बनाया गया।
दूसरी बार इमर्जेंसी के दौरान 29 जनवरी 1977 को जस्टिस एचआर खन्ना की वरिष्ठता की अनदेखी करके जस्टिस
एमएच बेग को मुख्य न्यायाधीश बनाया गया। इस समय देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस
दीपक मिश्रा है, जिन्होंने जस्टिस
जेएस खेहर की जगह ली है। जस्टिस मिश्रा देश के 45वें मुख्य न्यायाधीश हैं।
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