प्रिंटिंग प्रेस की शुरुआत कब हुई

छपाई का काम सबसे पहले चीन में शुरू हुआ था | सन 868 में लकड़ी या धातु में अक्षर खोदकर सबसे पहली पुस्तक यहाँ छापी गई थी 15 वी शताब्दी के मध्य में सबसे पहला छापाखाना जर्मनी के जोहान गुटेनबर्ग (Johan Gutenberg) ने स्थापित किया था, लेकिन विलियम कैक्स्तन इंग्लैंड के पहले व्यक्ति थे , जिन्होंने 1476 में पहला सफल छापाखाना लगाया |

इसके पश्चात काफी समय तक मुद्रण-कला का विकास धीमा गति से हुआ लकिन 19वी सदी में जब भाप और विधुत शक्ति का आविष्कार हो गया तो मुद्रण-कला का विकास भी बड़ी तेजी से हुआ | इन्हीं दिनों टाइप कम्पोजिग मशीन की खोज हुई | यह मशीन टाइपराइटर की तरह काम करती थी | इससे पहले कम्पोजिंग हाथ से किया जाता था | जिसमें बहुत समय लगता था |

आज तो छपाई की कई विधिया विकशित हो गई हैं | इनमे मुख्यतः लैटर प्रेस प्रिंटिंग , लिथोग्रफिक प्रिंटिंग और ग्रैवरी प्रिंटिंग मुख्य है | लिथोग्रफिक से ही आफसेट प्रिंटिंग का विकाश हुआ | इस प्रदाती में छपाई का डिज़ाइन फोटोग्राफिक विधी से तयार होता है | आधुनिक फोटो कम्पोजिंग मशीने तो अब कंप्यूटर द्वारा नियंत्रित होती है | मनुष्य की ज्ञान-व्रिधी में छापाखाने का बहुत बार योगदान हैं |

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस (ओयूपी) दुनिया की सबसे बड़ी विश्वविद्यालय प्रेस है | यह ऑक्सफोर्ड विश्वविधालय का एक विभाग है और इसका संचालन उपकुलपति द्वारा नियुक्त 15 शिक्षाविदों के एक समूह द्वारा किया जाता है जिन्हें प्रेस प्रतिनिधि के नाम से जाना जाता है | उनका नेतृत्व प्रतिनिधियों के सचिव द्वारा किया जाता है जो ओयूपी के मुख्य कार्यकारी और अन्य विश्वविद्यालय निकायों के प्रमुख प्रतिनिधि की भूमिका निभाता है | ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय सत्रहवीं सदी के बाद से प्रेस की देखरेख के लिए इसी तरह की प्रणाली का इस्तेमाल करता आ रहा है |

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