सेलोटेप (Sellotape) का आविष्कार किसने और कैसे किया था?

सेलोटेप का आविष्कारक रिचर्ड जी ड्र्यू ने किया था | वे अमेरिका के निवासी थे और व्यवसाय से केमिकल इंजीनियर थे | ड्र्यू मिनेसोटा माइनिंग एंड मैन्युफैक्चरिंग कम्पनी में काम करते थे | इस कम्पनी को आज हम 3एम के नाम से जानते हैं |

यह कम्पनी सन 1926 से रेगमाल या सैंडपेपर बनाती रही है, जिसमें सिलिका और एल्युमिनियम ऑक्साइड का इस्तेमाल होता था | इस पेपर के आविष्कार में भी रिचर्ड ड्र्यू का योगदान था | इस सिलसिले में उन्हें गोंद और रबर की तरह चिपकने वाले रसायनों को समझने का मौका मिला |

उन दिनों अमेरिका में दो रंगों वाली कारों का फैशन चला | दो रंग का पेंट करने के लिए कार कम्पनियाँ पहले एक रेंग का पेंट करके जिस हिस्से पर दूसरा रंग चढ़ाना होता था उसपर गोंद से टेप लगाकर उस हिस्से की मास्किंग कर देती थीं | ताकि उस हिस्से पर वह पेंट न पड़े | बाकी हिस्से पर दूसरा पेंट कर देती थीं | बाद में टेप हटा लिया जाता था, जिससे कार पर दोनों रंग नजर आने लगते थे | अलबत्ता टेप को हटाने के प्रयास में अकसर पेंट की गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव पड़ता था |

रिचर्ड ड्र्यू ने बादामी रंग के कागज का नया मास्किंग टेप बनाया, जिसे हटाने पर चिपकने वाली पदार्थ सतह पर निशान नहीं छोड़ता था | सन 1928 में उन्होंने ट्रांसपेरेंट सेलोफेन टेप बनाया | यह पारदर्शी और महीने होने के अलावा नमी और गर्मी को सहन करने वाला भी था | सामान्य कागज के टेप से यह मजबूत भी ज्यादा था |

यह सेल्युलोज़ से बनाया गया था इसलिए इसे सेलोफेन कहा गया | उसके पहले तक गोंद वाला ब्राउन टेप काम में आता था, जो बरसात में नम होकर यों ही चिपकने लगता था | इसे चिपकाने के पहले गीला भी करना पड़ता था | रिचर्ड ड्र्यू ने 1928 में अपने नए टेप का पेटेंट कराया और 1930 में उनकी कम्पनी ने सेलोटेप नाम से इस टेप को बाजार में उतारा |

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