Solid in Hindi

ठोसों के अवयवी कण (परमाणु अणु और आयन) गति करने के लिए स्वतंत्र नहीं होते, किंतु अवयवी कणों के मध्य लगने वाले प्रबल आकर्षण बल के कारण वे अपने निश्चित स्थान पर दोलन (केवल कंपन) कर सकते हैं। इस तरह ठोसो के मुख्य अभिलक्षण असंपीड्यता, द्रणता एवं उच्च यांत्रिकीय सामर्थ्य। यह दर्शाते हैं कि ठोसो को बनाने वाले अवयवी कण परमाणुअणु और आयन आपस में घनिष्ठ संकुलित होते हैं।

परिभाषा:
ऐसे पदार्थ जिनका आकार और आयतन निश्चित होता है ठोस कहलाते हैं।

ठोस कितने प्रकार के होते हैं?

ठोस के प्रकार -
ठोस दो प्रकार के होते हैं?
(1) क्रिस्टलीय ठोस
(2) अक्रिस्टलीय ठोस

क्रिस्टलीय ठोस
इन ठोसो में अवयवी कणों (परमाणु, अणु और आयन) की एक निश्चित नियमित ज्यामितीय व्यवस्था होती है, जिसकी बार-बार पुनरावृत्ति होने पर एक निश्चित ज्यामिति वाली त्रिविमीय संरचना का निर्माण होता है। हम कह सकते हैं कि क्रिस्टलीय ठोसो में दीर्घ परास क्रम होता है।  इस तरह क्रिस्टलीय ठोस में बड़ी संख्या में इन्हें बनाने वाली इकाई होती है जिन्हें क्रिस्टल कहा जाता है। अतः क्रिस्टल वे ठोस पदार्थ होते हैं जिनकी निश्चित ज्यामिति आकृति समतल फलक एवं तीक्ष्ण किनारे होती है। क्रिस्टलीय ठोस वास्तविक ठोस के रूप में जाने जाते हैं।

क्रिस्टलीय ठोस के कुछ उदाहरण -
सोडियम क्लोराइड (साधारण नमक), सुक्रोज (शक्कर) हीरा क्वार्ट्ज ठोस धातुएं आदि।

अक्रिस्टलीय ठोस
अक्रिस्टलीय ठोस जिन्हें Amorphous कहा जाता है यह शब्द ग्रीक शब्द 'Omorphe'  से व्युत्पन्न  किया गया है जिसका अर्थ होता है आकारविहीन जो इंगित करता है कि अक्रिस्टलीय ठोस में अवयवी कणों की व्यवस्था नियमित नहीं होती है। यद्यपि कुछ पदार्थों में अवयवी कणों की व्यवस्था में लघु परासक्रम होता है जिसमें यह क्रिस्टलीय ठोस की तरह व्यवहार करते हैं। ऐसे क्षेत्र क्रिस्टलेट्स कहलाते हैं इस तरह अक्रिस्टलीय ठोसो में अवयवी कणों की व्यवस्था में लघु पराक्रम होता है।

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