पॉलीग्राफी टेस्ट व नार्को टेस्ट क्या हैं?
नार्को टेस्ट, पॉलीग्राफ टेस्ट और ब्रेन मैपिंग जैसे परीक्षणों का जिक्र आमतौर पर फोरेंसिक
साइंस या आपराधिक छानबीन के काम में किया जाता है | नार्को परीक्षण
में व्यक्ति के शरीर में एक विशेष प्रकार के रासायनिक यौगिक का प्रवेश कराया जाता
है | इसे ट्रुथ ड्रग के नाम से भी जाना जाता है | ट्रुथ ड्रग एक साइकोएक्टिव दवा है, जो ऐसे लोगों को दी जाती है जो सच नहीं बताना
चाहते हैं या बता पाने में असमर्थ होते हैं | दूसरे शब्दों मे
यह किसी व्यक्ति के मन से सत्य निकलवाने लिए किया प्रयोग जाता है |
दवा के कारण व्यक्ति कृत्रिम निद्रा में आ जाता है | इस दौरान उसके दिमाग का त्वरित प्रतिक्रिया
देने वाला हिस्सा काम करना बंद कर देता है | ऐसे में व्यक्ति
बातें बनाना और झूठ बोलना भूल जाता है | यों यह भी संभव
है कि नार्को टेस्ट के दौरान भी व्यक्ति सच न बोले | भारत में हाल के
कुछ वर्षों से ही ये परीक्षण आरंभ हुए हैं | पर इन टेस्टों
से प्राप्त जानकारी को साक्ष्य नहीं माना जाता | अलबत्ता यह
जानकारी आगे पड़ताल करने में सहायक हो सकती है |
सन 1922 में अमेरिका में
रॉबर्ट हाउस नामक टेक्सास के डॉक्टर ने स्कोपोलामिन नामक ड्रग का दो कैदियों पर
प्रयोग किया था | नार्को विश्लेषण शब्द
नार्क से लिया गया है, जिसका अर्थ है
नार्कोटिक | अंतरराष्ट्रीय कानूनों
के तहत ट्रुथ ड्रग के अनैतिक प्रयोग को यातना के रूप में वर्गीकृत किया गया है | मूल रूप में यह चिकित्सा कार्य है | मनोरोगियों का उपचार करने में इसका उपयोग होता
है | इसका पहली बार प्रयोग डॉ. विलियम ब्लीकवेन ने
किया था |
पॉलीग्राफ ऐसा उपकरण है जो रक्तचाप, नब्ज, सांसों की गति,
त्वचा की स्निग्धता आदि को उस वक्त नापता और
रिकॉर्ड करता है, जब किसी व्यक्ति
से लगातार प्रश्न पूछे जाते हैं | इस दौरान
पॉलीग्राफिक मशीन की मदद से उसका बीपी, धड़कन, सांसों की गति, त्वचा की स्निग्धता आदि रिकॉर्ड कर ली जाती है | सही जवाब और गलत जवाब के दौरान शरीर की
प्रतिक्रिया में उतार-चढ़ाव होने लगता है | इसके आधार पर सच
और झूठ का फैसला किया जाता है | वैज्ञानिकों के
बीच इसकी विश्वसनीयता कम है |
ब्रेन मैपिंग तंत्रिकाविज्ञान की मदद से तैयार की गई तकनीक
है | इसमें मस्तिष्क की अलग-अलग तस्वीरों के आधार
पर सच और झूठ का फैसला किया जाता है | सभी प्रकार की
न्यूरो इमेजिंग ब्रेन मैपिंग का हिस्सा हैं | ब्रेन मैपिंग
में डाटा प्रोसेसिंग या एनालिसिस जैसे मस्तिष्क के विभिन्न हिस्सों के व्यवहार का
खाका खींचा जाता है | यह तकनीक लगातार विकसित
हो रही है और इस पर विश्वास भी किया जाता है |
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