दिन में दो बार नियम से महासागरीय जल का उठना एवं गिरना ‘ज्वार-भाटा’ कहलाता है। जब सर्वाधिक ऊँचाई तक उठकर जल, तट के बड़े हिस्से को डुबो देता है, तब उसे ज्वार कहते हैं। जब जल अपने निम्नतम
स्तर तक आ जाता है एवं तट से पीछे चला जाता है, तो उसे भाटा कहते हैं।
सूर्य एवं चंद्रमा के शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण बल के कारण
पृथ्वी की सतह पर ज्वार-भाटे आते हैं। जब पृथ्वी का जल चंद्रमा के निकट होता है उस
समय चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल से जल अभिकर्षित होता हैं, जिसके कारण उच्च ज्वार आते हैं।
पूर्णिमा एवं अमावस्या के दिनों में सूर्य, चंद्रमा एवं पृथ्वी तीनों एक सीध में होते हैं
और इस समय सबसे ऊँचे ज्वार उठते हैं। इस ज्वार को बृहत् ज्वार कहते हैं। लेकिन जब
चाँद अपने प्रथम एवं अंतिम चतुर्थांश में होता है, तो पृथ्वी एवं सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल विपरीत दिशाओं से
महासागरीय जल पर पड़ता है, परिणामस्वरूप,
निम्न ज्वार-भाटा आता है। ऐसे ज्वार को लघु
ज्वार-भाटा कहते हैं।
उच्च ज्वार नौसंचालन में सहायक होता है। ये जल-स्तर को तट
की ऊँचाई तक पहुँचाते हैं। ये जहाज को बंदरगाह तक पहुँचाने में सहायक होते हैं।
उच्च ज्वार मछली पकड़ने में भी मदद करते हैं। उच्च ज्वार के दौरान अनेक मछलियाँ तट
के निकट आ जाती हैं। इसके फ़लस्वरूप मछुआरे बिना कठिनाई के मछलियाँ पकड़ पाते हैं।
कुछ स्थानों पर ज्वार-भाटे से होने वाले जल के उतार-चढ़ाव का उपयोग electricity
उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।
ज्वार भाटा किसे कहते है? What is Tides (Sea Jwar bhata)
Reviewed by ADMIN
on
June 13, 2019
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