पानी की बूँदों
के गोल होने का कारण भी पृष्ठ तनाव है वैसे तो पानी जिस
पात्र में रखा जाता है उसका आकार ले लेता है, पर जब वह स्वतंत्र रूप से गिरता है तो धार जैसा लगता है, क्योंकि
गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण जैसे–जैसे उसकी मात्रा धरती की ओर जाती है उसी क्रम में आकार
लेती है |
इसके अलावा पानी
के मॉलीक्यूल एक-दूसरे को अपनी ओर खींचते हैं और यह क्रिया केन्द्र की ओर होती है, इसलिए पानी टूटता
नहीं | जैसे-जैसे पानी की बूँद का आकार छोटा होता है, वह गोल होती जाती
है आपने कुछ बड़ी बूँद को हल्का सा नीचे की
ओर लटका हुआ भी पाया होगा |
कोई टिप्पणी नहीं: