सबसे पहले जेल 1403 में इंगलैंड में बनाई गई, जो वहा के राजा के नियंत्रण में रहती थी शुरु में कानून तथा व्यवस्था को भंग करने वाले लोगों को सजा इसलिए दी जाती थी, ताकि वे सुधर सकें और इस प्रकार जेल जाने के भय से अपराधों को काम किया जा सके जेलों में अपराधियों के साथ बड़ा ही यातनापूर्ण व्यवहार किया जाता था धीरे-धीरे अधिकारी वर्ग ने यह देखा कि जेल के यातनापूर्ण व्यवहार से अपराधों में कोई कमी नहीं होती इसके बाद परिणाम यह हुआ कि कुछ बड़े अपराधों के लिए जेल के बदले मौत कि सजा देने की व्यवस्था कर दी गई |

इंगलैंड और यूरोप के कुछ अन्य देशों में 1550 के बाद ऐसी जेलें बनाई गई, जहां भिखारियों, आवारा लोगों, कर्जदारों, घर को बर्वाद करने वाले लोगों और अपराधियों को रखा जाता था बड़े अपराध करने वालों के लिए अलग जेलें बनाई गई थीं इनमें से अदिकतर जेलें गन्दी, अंधेरी व सीलन भरी होती थीं यहां खाना अच्छा नहीं होता था यहां कैदियों के साथ बुरा व्यवहार तो किया ही जाता था, उन्हें छोटे-छोटे कमरों में बुरी तरह ठूंस कर भर दिया जाता था |

18 वीं शताव्दी के अन्त में कैदियों के लिए अच्छी जेलों और व्यवहार कि मांग की जाने लगी समय के साथ-साथ जेलों का स्वरुप बदला और आज तो जेलों से काफी सूख सुविधा दी जाती है वहां अपराधियों से नाना प्रकार के काम लिए जाते हैं उन्हें आलसी बनाने के बजाए उनसे काम कराया जाता है उन्हें सुधारने व सही रास्ते पर लाने के प्रयास किए जाते हैं उनके लिए अलग-अलग काम सिखने के लिए जेलों में प्रशिक्षण व्यवस्थाएं हैं उनकी अच्छी डाक्टरों द्धारा देख-रेख कि जाती है और उनको मनोरंजन कि सुविधाएं भी दी जाती हैं |

भारत में जेलों की व्यवस्था पिछले हज़ारों सालों से है, लेकिन इन जेलों ने आधुनिक रूप कब लिया, इस विषय में कोई निश्चित जानकारी नहीं है आजकल जेलों की व्यवस्था राज्य सरकारों के हाथ में है सबसे छोटी जेल सार्क द्धीप में है, जिसमें केवल दो कैदियों को रखने कि व्यवस्था है |

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