कपालभाति प्राणायाम कैसे करें, लाभ और सावधानियां।
संस्कृत में कपाल शब्द का अर्थ होता है 'ललाट' और भाति का अर्थ होता है 'प्रकाश' या 'दीप्ति', इसका अर्थ 'बोध' या 'ज्ञान' भी होता है। अतः कपालभाति वह अभ्यास है, जो मस्तिष्क के आगे वाले भाग में प्रकाश या स्पष्टता लाता है। इस अभ्यास का
दूसरा नाम कपालशोधन है। शोधन का अर्थ भी शुद्ध करना होता है।
कपालभाति प्राणायाम की एक विधि है। संस्कृत में कपाल का अर्थ होता है माथा या
ललाट और भाति का अर्थ है तेज। इस प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से मुख पर
आंतरिक प्रभा (चमक) से उत्पन्न तेज रहता है। कपाल भाति बहुत ऊर्जावान उच्च उदर
श्वास व्यायाम है।
कपाल अर्थात मस्तिष्क और भाति यानी स्वच्छता। अर्थात 'कपाल भाति' वह प्राणायाम है जिससे मस्तिष्क स्वच्छ होता है और इस स्थिति में मस्तिष्क की
कार्यप्रणाली सुचारु रूप से संचालित होती है। वैसे इस प्राणायाम के अन्य लाभ भी
है।
कपालभाती प्राणायाम करने का तरीका -
1. कपाल भाति प्राणायामकरने के लिए रीढ़ को सीधा रखते हुए किसी भी ध्यानात्मक आसन, सुखासन या फिर कुर्सी पर बैठें।
2. इसके बाद तेजी से नाक
के दोनों छिद्रों से साँस को यथासंभव बाहर फेंकें। साथ ही पेट को भी यथासंभव अंदर
की ओर संकुचित करें।
3. तत्पश्चात तुरन्त नाक
के दोनों छिद्रों से साँस को अंदर खीचतें हैं और पेट को यथासम्भव बाहर आने देते
है।
4. इस क्रिया को शक्ति व
आवश्यकतानुसार 50 बार से धीरे-धीरे बढ़ाते हुए 500 बार तक कर सकते हैे, किन्तु एक क्रम में 50 बार से अधिक न करें। क्रम धीरे-धीरे बढ़ाएं।
5. कम से कम ५ मिनट एवं
अधिकतम ३० मिनट।
कपालभाती प्राणायाम के लाभ -
1. इस प्राणायाम के
नियमित अभ्यास से शरीर की अनावश्यक चर्बी घटती है। हाजमा ठीक रहता है। भविष्य में
कफ से संबंधित रोग व साँस के रोग नहीं होते।
2. प्राय: दिन भर
सक्रियता बनी रहती है। रात को नींद भी अच्छी आती है।
कपालभाती प्राणायाम की सावधानियाँ
1. पेट के किसी अंग जैसे-
लिवर, पैन्क्रियाज़, प्लीहा, छोटी आंत, बड़ी आंत, गुर्दे, स्लिप डिस्क, कमर दर्द, सूजन और अल्सर आदि शिकायतों में यह प्राणायाम न करें।
2. हृदय रोगों, हाई ब्लड प्रेशर और पेट में गैस आदि शिकायतों में यह प्राणायाम वर्जित है।
3. धूल-धुआं-दुर्गन्ध, बन्द व गर्म वातावरण में यह प्राणायाम न करें।
4. मासिक चक्र के समय और
गर्भावस्था के दौरान इसे न करें।
5. बुखार, दस्त, अत्यधिक कमजोरी की स्थिति में इसे न करें।
6. कब्ज़ की स्थिति में
यह प्राणायाम न करें। गुनगुने पानी में नींबू डालकर पेट साफ करें और फिर इसके बाद
ही इसे करें।
7. बाहर की ओर निकले हुए
पेट को शीघ्र घटाने के चक्कर में अनेक लोग दिन में कई बार इस प्राणायाम को करते
हैं, जो हानिप्रद है।
8. खाना खाने के बाद 3 घंटे तक कपाल भाति प्राणायाम न करें।
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