सांप्रदायिकता (Communalism) उस राजनीति को कहा जाता है जो धार्मिक समुदायों के बीच
विरोध और झगडे़ पैदा करती है | ऐसी राजनीति
धार्मिक पहचान को बुनियादी और अटल मानती है | सांप्रदायिक
राजनीतिज्ञों की कोशिश रहती है कि धार्मिक पहचान को मजबूत बनाया जाए | वे इसे एक स्वाभाविक अस्मिता मान कर प्रस्तुत
करते हैं, मानो लोग ऐसी पहचान लेकर
पैदा हुए हों, मानो अस्मिताएँ
इतिहास और समय के दौर से गुजरते हुए बदलती नहीं हैं |
सांप्रदायिकता किसी भी समुदाय में एकता पैदा करने के लिए
आंतरिक फर्को को दबाती है, उस समुदाय की
एकता पर जोर देती है, और उस समुदाय को
किसी न किसी अन्य समुदाय के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित करती है |
यह कहा जा सकता है कि सांप्रदायिकता किसी चिन्हित गैर के
खिलाफ घृणा की राजनीति को पोषित करती है | मुस्लिम
सांप्रदायिकता हिंदुओं को गैर बता कर उनका विरोध करती है और ऐसे ही हिंदू
सांप्रदायिकता मुसलमानों को गैर समझ कर उनके खिलाफ डटी रहती है | इस पारस्परिक घृणा से हिंसा की राजनीति को
बढ़ावा मिलता है |
इसका अर्थ है कि सांप्रदायिकता धार्मिक अस्मिता का विशेष
तरह से राजनीतिकरण है जो धार्मिक समुदायों में झगड़े पैदा करवाने की कोशिश करता है | किसी भी बहु-धार्मिक देश में धार्मिक
राष्ट्रवादय् शब्दों का अर्थ भी सांप्रदायिकता के करीब- करीब हो सकता है | ऐसे देश में अगर कोई व्यक्ति किसी धार्मिक
समुदाय को राष्ट्र मानता है तो वह विरोध और झगड़ों के बीज बो रहा है |
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