PIL की फुल फॉर्म "Public Interest Litigation" जिसे संक्षेप में PIL/पीआईएल कहते है और इसका हिंदी अर्थ "जनहित याचिका" होता है यह भारतीय न्याय व्यवस्था की अवधारणा है | इसका उद्देश्य सार्वजनिक
हित के लिए न्यायिक सहायता लेना है | इसे संसदीय नियमों से नहीं बनाया गया है, बल्कि भारतीय अदालतों ने जनता को ताकतवर बनाने के उद्देश्य
से तैयार किया है |
जस्टिस पीएन भगवती और जस्टिस वीआर कृष्ण अय्यर शुरूआती जज थे, जिन्होंने जनहित याचिकाओं को विचारार्थ स्वीकार किया | धीरे-धीरे इसकी व्यवस्था
बनती गई | जनहित याचिकाओं के दुरुपयोग के मामले भी सामने आए हैं और अदालतों ने इनपर
कड़ाई से कार्रवाई भी की है |
सत्तर और अस्सी के दशक भारत में न्यायिक सक्रियता का दौर था | इस दौर में हमारी अदालतों
ने सार्वजनिक हित में कई बड़े फैसले किए | दिसम्बर 1979 में कपिला हिंगोरानी ने बिहार की जेलों में कैद विचाराधीन कैदियों की दशा को
लेकर एक याचिका दायर की | इस याचिका के कारण जस्टिस वीआर कृष्ण अय्यर की अदालत ने
बिहार की जेलों से 40,000 ऐसे कैदियों को रिहा
करने का आदेश दिया, जिनके मामले विचाराधीन थे |
सन 1981 में एसपी गुप्ता बनाम
भारतीय संघ के केस में सात जजों की बेंच में जस्टिस भगवती भी एक जज थे | उन्होंने अपने फैसले में
दूसरी बातों के अलावा यह भी लिखा कि अदालत सार्वजनिक हित में मामले को उठाने के
लिए अदालत औपचारिक याचिका का इंतजार नहीं करेगी, बल्कि कोई व्यक्ति एक चिट्ठी भी लिख देगा तो उसे सार्वजनिक हित में याचिका मान
लेगी | इस व्यवस्था में भारी न्यायिक शुल्क को जमा किए बगैर सुनवाई हो सकती है |
PIL Full Form in Hindi - जनहित याचिका क्या होता है?
Reviewed by ADMIN
on
June 18, 2019
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