Cheques किसी विशिष्ट बैंक पर लिखा
गया आवेश होता है जो सदैव माँग पर देय होते है | यघपि चैक का लेखक में किसी शर्त को नही लिख सकता है, परन्तु वह भुगतानकर्ता बैंकर को चैक के भुगतान के स्म्बन्ह्द में विशेष
निर्देश दे सकता है | चेंको का भुगतान सुरक्षित
करने के उदेश्य से चैक को लेखक को रेखांकन करने की अनुमति द्वारा दी गई है |
रेखांकन का अर्थ एवं परिभाषा (meaning and definition of crossing)
रेखांकन में अभिप्राय एक
ऐसा उपकरण से है जिसके द्वारा चिको को केवल किसी चैंक अथवा रेखांक से अभिप्राय का
ऐसा उपकरण से है जिसके द्वारा बैंको को केवल किसी चैंक अथवा किसी विशिष्ट बैंक के
माध्यम से देय बना दिया जाता है | (Crossing is a device by which cheques
are made payble only throught a bank or a particular bank) इसके द्वारा चैंक का लेखक अपने बैंकर की यह आदेश देता है की बैंक का भुगतान
चैक के प्रापक को बैंक के काऊण्टर पर नकदी में न किया जाये वरन् चैंक भुगतान किसी
बैंकर को ही कियता जाये | जिस बैंक पर ऐसा आदेश होता
है उसे रेखांकित चैंक कहते है |
भारतीय विनिमय साध्य विलेख
कअधिनियम, 1881 की धारा 123 के अनुसार, “जब किसी चैक के
मुख-पृष्ट (Face) अपरक्राम्य (Negotiable)
या ‘केवल प्रापक के खाते में’
(A/c payble only) या बैंक का नाम (name
of the bank) आदि शब्द लिख दिया जाता है, अथवा केवल दो तिरछी रेखायें खीच दी जाती है यह क्रिया
रेखांकन कहलाती है |”
विशेषतायें –
1. रेखांकन के लिये दो समान्तर
तिरछी रेखायें खीचना आवश्यक है
2. दो समान्तर तिरछी रेखायें
चैंक के मुख पृष्ट पर बायीं और खीचना आवश्यक है
3. रेखांकित चैंको का भुगतान
केवल बैंक के माध्यम से ही हो सकता है
4. दो तिरछी रेखायें के बिच
कुछ शब्द लिखे जा सकते है अथवा केवल दो तिरछी रेखायें ही खींच दी जाती है |
रेखांकन का उदेश्य (Object
of crossing)
रेखांकन का प्रमुख उदेश्य
चेक को सुरक्षित बनाना होता है ताकि उसमे वास्तविक स्वामी को ही उसका भुगतान
प्राप्त हो सके | रेखांकित चैंक का भुगतान
बैंक के काऊण्टर पर नही किया जा सकता केवल भुगतान प्राप्तकर्ता के खाते में जमा
करके किया जाता है अथवा किसी अन्य बैंक के जरिये किया जाता है | स्पष्ट है की रेखांकित चैक का भुगतान प्राप्त करने वाले का
किसी न किसी बैंक में खाता होना आवश्यक है | यदि खाता न हो, तब पहले खाता खोलना पड़ता है
तभी उसके खाते में रकम जमा करके भुगतान किया जाता है, अथवा वह किसी ऐसे व्यक्ति के नाम जिसका बैंक में खाता है, चैक का पृष्ठांकन करके भुगतान प्राप्त क्र सकता है अत: यदि
रेखांकित चैक खो जाये या चोरी चला जाये तो इससे कोई नुकसान नही होता क्योंकि भुगतान
प्राप्त करने वाले व्यक्ति का सरलता से पता लगाया जा सकता है संक्षेप में चेको का
रेखांकन निम्नलिखित उद्देश्य को प्राप्ति के लिए किया जाता है |
- गलत या अनाधिक्रत भुगतान को रोकना
- चेक के भुगतान के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त करने में सुविधा |
- चेको के चलन में सुरक्षा |
रेखांकन के प्रकार (Types of crossing)
रेखांकन मुख्यत: निम्नलिखित
दो प्रकार का होता है |
साधारण रेखांकन (General
Crossing)
जब किसी चेक के मुख प्रष्ट
पर बाई और दो तिरछी समांतर रेखाए खीच दी जाये और उन रेखाओ के बिच में कोई शब्द न
लिखा जाये अथवा “एंड कंपनी “ केवल आदत के खाते में जमा (A/c Payee only), …… रुपए के अंतगर्त (under rs….) अविनिमी साध्य (not-negotiable) आदि शब्दों में से
कोई शब्द लिखा जाये परन्तु इन रेखाओ के बिच किसी बैंक का नाम न लिखा जाये तो ऐसा
रेखांकन साधारण रेखांकन कहलाता है स्पष्ट है की साधारण रेखांकन में दो तिरछी
समांतर रेखाओ का होना अनिवार्य है रेखाओ के बिच में किसी शब्द का लिखना या न लिखना
महत्वहीन होता है |
विशेष रेखांकन (special
Crossing) – भारतीय विनिमय साध्य लेखपत्र अधिनियम की धारा 124 में विशेष रेखांकन की निम्नलिखित प्रकार परिभाषित किया गया
है – जब किसी चेक के मुखप्रष्ठ पर किसी बैंक का नाम
लिख दिया जाता है , चाहे उसके साथ अप्र्क्रमी
शब्दों लिखे गये ई अथवा नही तो ऐसा नाम जोड़ देने से को रेखांकन समझा जायेगा और चेक
विशेष रूप से रेखांकित crossed specially समझा जायेगा तथा उसे
बैंक के नाम रेखांकित माना जायेगा |
उपर्युक्त परिभाषा से
स्पस्ट है की विशेष रेखांकन के लिये चैक के मुखपृष्ट पर किसी बैंक का नाम लिखा
होना अनिवार्य है | यह नाम समानान्तर तिरछी
रेखाओं के मध्य ही लिखा जाता हो, यह अनिवार्य नही है |
विशेष रेखांकित चैक का भुगतान रेखांकन में उल्लिखित के बैंक
अथवा इसके संग्रहकर्ता एजेण्ड बैंक के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है |
सामान्य एवं विशेष रेखांकन
में अन्तर
सामान्य रेखांकन
|
विशेष रेखांकन
|
सामान्य रेखांकन में किसी
बैंक का नाम नही लिखा जाता |
|
विशेष रेखांकन में किसी
निर्दिष्ट बैंक का नाम अनिवार्य रूप से लिखा जाता है |
|
इसमें बैंक की राशि किसी
भी बैंक के माध्यम से संग्रह की जा सकता है |
|
इसमें बैंक का भुगतान
रेखांकित में उल्लिखित बैंक अथवा उसके संग्रहककर्ता एजेण्ड बैंक एक माध्यम से ही
प्राप्त किया जा सकता है |
|
सामान्य रेखांकित चैक को
विशेष रेखांकित चैक में परिवर्तित किया जा सकता है |
|
विशेष रेखांकित चैक को
संन्य रेखांकित चैक में परिवर्तित नही किया जा सकता |
|
रेखांकन के अन्य पारूप
1. प्रतिबन्धात्मक या आदाता
खाता रेखांकन (Restricitve or Account Payee Crossing) – इसे सिमित रेखांकन भी कहते है | विनिमय-साध्य विलेख अधिनियम में इसका कही भी कोई वर्णन नही है , परन्तु व्यापारिक समुदाय में प्रचलित प्रथा के अंतर्गत इस
प्रकार के रेखांकन का काफी प्रयोग किओया जाता है | इस प्रकार के रेखांकन में सामान्य या विशेष रेखाकं के साथ ‘केवल आदाता के खाते में’ (A/c Payee Only) शब्द अतिरिक्त रूप से लिख दिया जाता है | काश्त्व में यह शब्द संग्रहकर्ता तथा भुगतानकर्ता बैंकर को
यह निर्देश देते है की चैक की रकम केवल आदाता के खतरे में ही जमा की जाये, अन्य किसी व्यक्ति के खाते में नही | मूल प्रापक ने यदि ऐसे चैक का प्रष्ठांकन कर दिया है तो संग्रहकर्ता बैंक के
प्रष्ठांकन पर ध्यान नही देना चाहिये और प्रापक के लिए ही चैक का संग्रह करना
चाहिये | यदि संग्रहकर्ता बैंकर के आदेश का पालन न करता
है, तो उसे क़ानूनी सरक्षण प्राप्त नही हो सकता |
यघपि ऐसे रेखांकन बैंक को हस्तान्तरणशीलता (Transferability)
में कोई रुकावट नही होती अर्थात् ऐसे रेखांकन चिंक का आगे
भी प्रष्ठांकन किया जा सकता है, परन्तु हिज व्यक्ति के पक्ष
में ऐसे बैंक का प्रष्ठांकन किया जायेगा उसे बैंक का भुगतान प्राप्त नही हो सकता |
अत: ऐसे रेखांकित चिंक पर किया गया प्रष्ठांकन व्यावहारिक
रूप से प्रभावी नही होता |
2. अपरक्राम्य रेखांकन (Not
Negotiable Crossing) – जब बैंक पर दो
समानान्तरतिरछी रेखाओं के बीच ‘अपरक्राम्य’ या ‘अविनिमय-साध्य’ (Not
Negotiable) शब्द लिख दिया जाता है, तो उसे ‘अपरक्राम्य रेखांकन’
कहते है | रेखांकन में इन शब्दो को
छोड़ जोड़ देने से चैक की विनिमय-साध्यता समाप्त हो जाती है | परन्तु हस्तान्तरणशीलता प्रभावित नही होती | ‘अपरक्राम्य’ या अविनिमय-साध्य शब्द कका
आशय यह है की ऐसे चैक को प्राप्त करने वाले व्यक्ति का स्वमित्व वैसा हो होगा जैसा
की हस्तान्तरणकर्ता का स्वमित्व है, भले ही उस व्यक्ति
ने ऐसे चैक को प्रतिफल के बदले तथा सद्भावनापूर्वक ही क्यों न प्राप्त किया हो |
स्पष्ट है की इस प्रकार के
रेखांकित चैक का हस्तानरिती यथाविधि धारक होने पर भी हस्तान्तरणकर्ता से अच्छा
अधिकार प्राप्त नही कर सकता एवं न ही किसी को अच्छा अधिकार दे सकता है | ऐसे रेखांकन का उद्देश्य चैक के लेखक तथा उसके मूल-आदाता को
उसके खो जाने अथवा चोरी हो जाने पर अथवा उसके सम्बन्ध में किसी प्रकार की बेईमानी
की स्थिति में सुरक्षा प्रदान करना है | अत: ऐसा रेखांकित
चैक, बेचान प्राप्त करने वाले व्यक्ति (पृष्टकिती) को
एक प्रकार की चेतावनी होती है की वह प्रष्ठांकनकर्ता के अधिकार में सम्बन्ध में
भली-भाँति जाँच पड़ताल कर ले |
वस्तुतः ऐसे चैक केवल उन्ही
व्यक्तियों से प्राप्त करने चाहिये जिनसे प्रष्ठांकिती भली-भाँति परिचित है तथा वह
इस बात से सन्तुष्ट है की चैक पर प्रष्ठांकनकर्ता स्वमित्व दोषमुक्त है | भगतनकर्ता बैंकर के लिये ऐसे रेखांकन का कोई महत्व नही होता
और यदि संग्रहकर्ता बैंक ने भी सद्भावनापूर्वक तथा बिना किसी लापरवाही के ऐसे
रेखांकित चैक का भुगतान किसी प्रष्ठांकिती आदाता (Payee by Endorsement) ग्रहाक के लिए प्राप्त किया है, तो वह भी अपने दायित्त्व से मुक्त होआ जाता है भले ही उक्त ग्रहाक का चैक
स्व्मित्त्व रहा हो |
3. दोहरा रेखांकन (Double
Crossing) – दोहरे रेखांकन का आशय किसी चैक पर दो बार ‘सिशेष रेखांकन’ करने से है |
दुसरे शब्दों में, जब चैक के मुख पृष्ठ
पर दो समानान्तर तिरछी रेखाओं के बिच में, अथवा इनके बिना
किन्ही दो बैंको के नाम लिख दिये जाते है तो उसे दोहरा रेखांकन कहते है | विनिमय-साध्य विलेख अधिनियम की धारा 127 के अनुसार ऐसा रेखांकन को अनुमति नही है और यदि ऐसा
रेखांकन किया जाता है तो भुगतानकर्ता बैंकर ऐसे चैक का भुगतान करने से मना कर देगा
| परन्तु इसका एक अपवाद भी है | धारा 125 के अनुसार विशेष
रेखांकित चैक में निर्दिष्ट बैंक चैक का संग्रह करने के लिये अपने एजेण्ड के रूप
में उक्त चैक को किसी दुसरे बैंक के नाम पुन: रेखांकित करने वाल एबैं को यह स्पष्ट
करना आनिवार्य है दुसरे बैंक के नाम क्या गया रेखांकन एजेण्ड के रूप में भुगतान का
संग्रह करने के लये ही क्या गया है | उडी रेखांकन में ‘Agent
for Collection’ शब्द का उपयोग नही किया जाये तो भुगतानकर्ता
बैंक ऐसे रेखंकित बैंक को वापिस लौटा देगा |
एक बैंक, जिसके नाम में विशेष रेखांकन किया गया है, किसी दुसरे बैंक को ‘संग्रह के लिये एजेण्ड’ प्राय: तभी नियुक्त करता है
ज या तो पहले बैंक की कोई भी शाखा उस स्थान पर नही होती है जिस स्थान पर की चैक
देय होता है या वह अपनी किसी व्यावसायिक सुविधा, इत्यादि के कर्ण उस चैक का संग्रह दुसरे बैंक से कराना चाहता है |
यदि किसी चैक को एक ही बैन
की दो शाखाओं के पक्ष में रेखांकित किया जाता है तो यह दोहरा रेखांकन नही माना
जायेगा ओरे ऐसी दशा में एजेण्ड शब्द लिखने की भी आवश्यकता नही है क्योकि दोनों
शाखायें एक ही बैंक की है |
चैक का रेखांकन कौन करता है? (Who can Cross a Cheque?)
विनिमय-साध्य विलेख अधिनियम
की धारा 125 के अनुसार एक चैक के रेखांकित का अधिकार
निम्नलिखित को उपलब्ध है-
1. आहर्ता (Drawer)
– चैक का आहर्ता (लेखक) चैक लिखते समय ही चैक का साधारण या
विशेष रेखांकन कर सकता है |
2. धारक (Holder)
–
(i) यदि चैक का रेखांकन नही हुआ
है तब धारक उस पर साधारण या विशेष रेखांकन कर सकता है |
(ii) यदि बैंक साधारण रेखांकित
है तब धारक उस पर विशेष रेखांकन कर सकता है |
(iii) यदि चैक पर साधारण या विशेष
रेखांकन है तब धारक उसमे ‘अपरक्राम्य’ (Not
Negotiable) शब्द जोड़ सकता है |
3. बैंकर (Banker) –
यदि चैक पर विशेष रेखांकन है तब वह बैंक जिसके पक्ष में चाय
रेखांकित है, उस पर पुन: दुसरे बैंकर का
नाम अपने एजेन्ट के रूप में संग्रह कराने के लिये लिख कर दोबारा विशेष रेखांकन कर
सकता है |
रेखांकन का प्रभाव (Effect
of Crossing) – रेखांकित बैंक के
निम्नलिखित प्रभाव होते है
1. रेखांकित चैक का भुगतान कभी
भी बैंक के काउण्टर पर नकदी में नही हो सकता भले ही बैंक का आदाता (Payee),
भुगतानकर्ता बैंकर का ग्रहक ही क्यों न हो | ऐसे चैक का भुगतान आदाता के खाते में या किसी बैक्र्र को ही
क्रेडिट करके दिया जा सकता है | नकदी में भुगतान दे देता है
|
2. साधारण रेखांकित चैक की दशा
में उसका भुगतान किसी भी बैकर के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है अर्थात्
भुगतानकर्ता बैंकर उक्त चैक को प्रस्तुत करने वाले किसी भी बैंक के भुगतान दे देता
है |
3. विशेष रेखांकित चैक की दशा
में भुगतानकर्ता बैंकउसी बैक को भुगतान कर सकता है जिसका रेखांकित में अंकित है |
4. सीमित रेखांकन की दशा में
संग्रहकर्ता बैंक चैक में आदाता के रूप में अंकित व्यक्ति के लिये ही भुगतान
पप्राप्त कर सकता है |
5. ‘अपरक्राम्य रेखांकन’
का भुगतानकर्ता बैंकर के लिये कोई महत्व नही होता |
6. दोहरे रेखांकन की दशा
मेंभुगतानकर्ता बैंकर के दुसरे रेखांकित बैंक को तभी भुगतान करना चाहिये जबकि
रेखांकन में दुसरे बैक के नाम के साथ ‘As Agent for Collection’ शब्द लिखा हुआ है |]
रेखांकित चैक के प्रति
बैंकर का दायित्व (Liability of Banker towards Crossed Cheque)
यदि भुगतानकर्ता बैंकर
रेखांकन में निर्दिष्ट निर्देशों के अनुसार भुगतान नही करता है तो वह बैचैक के
वास्तविक स्वामी तथा चैक के लेखक के प्रति उतरदायी होता है | भुगतानकर्ता बैंकर चैक के वास्तविक स्वामी के प्रति उस
क्षति के लिए उतरदायी होगा जो उसे गलत भुगतान के कारण उठानी पड़ी हो | ऐसी दशा में बैकर गलत भुगतान की गई रकम को अपने ग्रहक
अर्थात् चैक के लेख्य्क के खाते में भी डेबिड नही लिख सकता क्योकि ऐसे भुगतान को
लेखक के आदेशानुसार भुगतान नही माना जा सकता |
जहाँ तक संग्रहकर्ता बैंकर
का प्रश्न है, यदि संग्रहकर्ता बैंकर अपने
ग्रहक के किसी रेखांकित चैक का भुगतान सद्विश्वास तथा सावधानीपूर्वक प्राप्त कर
सकता है तो ऐसे संग्रक्षण के लिए वह चैक के वास्तविक स्वामी के प्रति उतरदायी नही
माना जाता है |
रेखांकन का मिटाना (Obliteration of
Crossing) – यदि चैक के धारक द्वारा चैक पर किये गए रेखांकन
को इस प्रकार मिटा दिया जाता है जिससे यह प्रतीत नही होता है की चैक पर रेखांकन
किया गया था और धारक इस चिअक को बैंक की खिड़की पर प्रस्तुत कर बैकर से उसका नकद
भुगतान प्राप्त कर लेता है बी बैंकर को धारा 89 के अंतर्गत सरक्षण प्राप्त होता है | ऐसे बैक का नकद
भुगतान कर देने पर भी बैंकर पर कोई जोखिम नही आती और भुगतानकर्ता बैंक उस चैक के
दायित्व से मुक्त हो जाता है |
रेखांकन को रद करना या
खोलना (Cancellation or Opening of Crossing) – जब चैक के रेखांकन समाप्त कर दिया जाता है तो उसे ‘रेखानिं का निरस्तीकरण या खोलना’ कहते है | रेखांकन को रद करना का अधिकार चिअक के लेखक (आहर्ता) को ही
है | रेखांकन की निरस्त करने के लिए चैक लिखने वाला
रेखांकन को काटकर उस स्थान पर ‘Pay Cash’ शब्द लिखकर अप[ने
पूर्ण हस्ताक्षर कर देता है | रेखांकन निरस्त कर देने से
उक्त चैक एक खुला चैक (Open Cheque) बन जाता है और उसका
बैंक के काउण्टर पर नकद भुगतान प्राप्त प्राप्त किया जा सकता है |
चैक के रेखांकन के निरस्त
करना एक महत्वपूर्ण परिवर्तन होता है, अत: भुगतानकर्ता
बैंक को निस्तीकरण के सम्बन्ध में लेखक के हस्ताक्षर की वास्तविकता एवं विधि मान्यता
सम्बन्धी जाँच कर्ण एमे सिह्सेश सावधानी बरतनी चाहिये | यदि चैक का धारक, चैक के लेखक के जाली
हस्ताक्षर बनाकर रेखांकन को निरस्त करके बैंक से नकद भुगतान प्राप्त कर लेता है तो
बैंकर उक्त बैंक के वास्तविक स्वामी के प्रति उतरदायी होगा |
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